हा हा हा हा हां हां तो उसमें भी देर क्यों की जाए फ़िर तैयारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए ..बहुत सटीक और मारक :) :)
नाज बिनु भंडार भरे भांड बिनु भंडारि । रसवत भोजन सूचि लहि कस भीख बिनु भिखारि ।१८४६। भावार्थ : -- अनाज भी नहीं और भंडार भी भर गया.....वाह ! बर्तन नहीं और रसोइया रख लिया । भीख का पता नहीं कितनी मिलेगी कब मिलेगी मिलेगी कि.....? नहीं मिलेगी.....और भिखारी हैं कि मीनू लिए घूम रहे हैं ॥
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हा हा हा हा हां हां तो उसमें भी देर क्यों की जाए फ़िर तैयारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए ..बहुत सटीक और मारक :) :)
नाज बिनु भंडार भरे भांड बिनु भंडारि ।
रसवत भोजन सूचि लहि कस भीख बिनु भिखारि ।१८४६।
भावार्थ : -- अनाज भी नहीं और भंडार भी भर गया.....वाह ! बर्तन नहीं और रसोइया रख लिया । भीख का पता नहीं कितनी मिलेगी कब मिलेगी मिलेगी कि.....? नहीं मिलेगी.....और भिखारी हैं कि मीनू लिए घूम रहे हैं ॥
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