बहुत अच्छे।
क्यूँ जाए विचारधारा भाड़ में? इसे लॉकर में रक्खें और जब जरूरत हो निकाल लें।
और क्या! वैसे दिनेश जी भी ठीक कर रहे हैं.
अब तो अवसरवाद की राजनीति का युग है
विचारधारा थी ही कब.... ? भानुमती के पिटारे जैसी सरकारों में कुर्सी हथियाने के हथकंडे ही देख रहे हैं कब से.
अंतिम सत्य तो कूर्सी ही है बच्चा....सारे सिद्धातं उसी के लिए है, उसी पर न्यौछवर भी हो जाते है.
इस आधार पर सरकार बन गई समझो!
एकदम सच ...सरकार बन जाए किसी तरह ...विचारधाराएँ तो अपने आप ही एक हो जाएंगीं ..
कितने सुन्दर विचार हैं दोनों ही पार्टियों के!!
हम (और नेता) करें, वाह वाह..विचार करें आह आह...~जयंत
आज सभी दल के नेताओ की विचारधाराये अलग अलग है इसलिये सबकी विचार धारा एक नही हो सकती है
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11 comments:
बहुत अच्छे।
क्यूँ जाए विचारधारा भाड़ में? इसे लॉकर में रक्खें और जब जरूरत हो निकाल लें।
और क्या! वैसे दिनेश जी भी ठीक कर रहे हैं.
अब तो अवसरवाद की राजनीति का युग है
विचारधारा थी ही कब.... ?
भानुमती के पिटारे जैसी सरकारों में कुर्सी हथियाने के हथकंडे ही देख रहे हैं कब से.
अंतिम सत्य तो कूर्सी ही है बच्चा....सारे सिद्धातं उसी के लिए है, उसी पर न्यौछवर भी हो जाते है.
इस आधार पर सरकार बन गई समझो!
एकदम सच ...सरकार बन जाए किसी तरह ...विचारधाराएँ तो अपने आप ही एक हो जाएंगीं ..
कितने सुन्दर विचार हैं दोनों ही पार्टियों के!!
हम (और नेता) करें, वाह वाह..
विचार करें आह आह...
~जयंत
आज सभी दल के नेताओ की विचारधाराये अलग अलग है इसलिये सबकी विचार धारा एक नही हो सकती है
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