Saturday, June 20, 2009

कार्टून : कांग्रेस का 'टेलेंट हंट'

♥ बामुलाहिजा
♥ आज का पंगा
Cartoons by Kirtish Bhatt ♥ Panga Na Le by Pangebaj



4 comments:

ghughutibasuti said...

मक्खी के लिए हमारी सहानुभूति व श्रद्धान्जली।
घुघूती बासूती

Udan Tashtari said...

ईश्वर मक्खी की आत्मा को शांति दे.

Anil Pusadkar said...

ॐ शांति।

दिनेश की राय said...

वर्ग विभाजित समाज व्यवस्था में काग्रेस कार्य कर्ताओ को इसलिए रखता है ताकि व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह को टाला जा सके। इस व्यवस्था में जनता को तो पिसना ही है। इस में काग्रेस कार्य कर्ताओ का दोष क्या है। आप ने व्यंग्य के लिए गलत विषय चुन लिया। व्यंग्य करना था तो संविधान पर करते। आप के व्यंग्य ने व्यवस्था के नंगे सच को ढ़क दिया है। और काग्रेस कार्य कर्ताओ को निशाना बनाया है।
देश के काग्रेस कार्य कर्ताओ की कुल संख्या में से आधे से अधिक की आय तो साधारण क्लर्क से अधिक नहीं है। वे हास्य का विषय हो सकते हैं व्यंग्य का नहीं।
आप का आलेख काग्रेस कार्य कर्ताओ बिरादरी के लिए बहुत ही अपमान जनक है। यह तो अभी हिन्दी ब्लाग जगत में काग्रेस कार्य कर्ता पाठक इने गिने ही हैं और वे भी मित्र ही हैं। मैं ने भी आप के इस आलेख का किसी काग्रेस कार्यकर्ता मित्र से उल्लेख नहीं किया है। इस आलेख के आधार पर कोई भी सिरफिरा काग्रेस कार्य कर्ता मीडिया में सुर्खियाँ प्राप्त करने के चक्कर में आप के विरुद्ध देश की किसी भी अदालत में फौजदारी मुकदमा कर सकता है। मौजूदा कानूनों के अंतर्गत इस मुकदमे में सजा भी हो सकती है। ऐसा हो जाने पर यह हो सकता है, कि हम पूरी कोशिश कर के उस में कोई बचाव का मार्ग निकाल लें, लेकिन वह तो मुकदमे के दौरान ही निकलेगा। जैसी हमारी न्याय व्यवस्था है उस में मुकदमा कितने बरस में समाप्त होगा कहा नहीं जा सकता। मुकदमा लड़ने की प्रक्रिया इतनी कष्ट दायक है कि कभी-कभी सजा भुगत लेना बेहतर लगने लगता है।

एक दोस्त और बड़े भाई और दोस्त की हैसियत से इतना निवेदन कर रहा हूँ कि कम से कम इस पोस्ट को हटा लें। जिस से आगे कोई इसे सबूत बना कर व्यर्थ परेशानी खड़ा न करे।

आप का यह आलेख व्यंग्य भी नहीं है, आलोचना है, जो तथ्य परक नहीं। यह काग्रेस कार्य कर्ता समुदाय के प्रति अपमानकारक भी है। मैं अपने व्यक्तिगत जीवन में बहुत लोगों को परेशान होते देख चुका हूँ। प्रभाष जोशी पिछले साल तक कोटा पेशियों पर आते रहे, करीब दस साल तक। पर वे व्यवसायिक पत्रकार हैं। उन्हें आय की या खर्चे की कोई परेशानी नहीं हुई। मामला आपसी राजीनामे से निपटा। मुझे लगा कि आप यह लक्जरी नहीं भुगत सकते।
अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ।