लगे हाथ एक तथ्य का मैं भी खुलासा कर दूं कि नैनो इतनी सस्ती कैसे दी गई है। विचारे तो हम हुए जिन्होंने पिछले वर्ष टाटा मोटर्स की गाडि़यां की खरीद की। मसलन मैंने माच्र 2008 में टाटा इंडिका जीटा पेट्रोल संस्करण की खरीद की जो मुझे नई दिल्ली में तीन लाख पच्चीस हजार के लगभग मिली। कल एक विज्ञापन में टाटा मोटर्स ने इसकी कीमत तीन लाख पन्द्रह हजार दी है। इसमें सीएनजी कंपनी से लगकर मिल रही है जबकि मैंने इसमें अलग से टाटा प्राधिकृत सीएनजी सिक्वल किट 67 हजार रुपये में लगवाई थी। तो लगभग एक लाख रुपया एक कार पर टाटा मोटर्स ने अधिक लिया। यह तो एक कार की बात है। ऐसी न जानें कितनी कारें टाटा मोटर्स ने बेचीं तो विचारे तो अविनाश वाचस्पति हुए। जिन्होंने बिना विचारे एक साल पहले टाटा इंडिका जीटा पेट्रोल खरीद ली और उसका इंजन भी दोषपूर्ण निकला और जुलाई 2008 में मात्र 3000 किलोमीटर चलने पर ही सीज हो गया। जिससे कंपनी ने इसका इंजन बदला। आज भी इस कार में येन केन प्रकारेण खराबियां तंग करती रहती हैं। नई कार खरीदने का जो सुकून है वो मैंने महसूस ही नहीं किया। जबकि अगर पुरानी कार खरीदी गई होती तो शायद न इतनी परेशानी होती और न इतना दुख होता। क्या रतन टाटा जी इस मामले पर विचार करेंगे। मैं यह यहां पर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि माननीय रतन टाटा जी तक मेरी गुहार नहीं पहुंच पा रही है और न उनकी ई मेल ही मुझे मिल रही है और न ही प्रबंधन द्वारा दी जा रही है। मेरी शिकायत पिछले वर्ष जहां प्रकाशित हुई थी उसका लिंक दे रहा हूं, पाठक पढ़ सकते हैं http://www.moltol.in/index.php/20080705849/Khash-Feature/Complaint-from-Tata-Indica-car.html
10 comments:
Nano par to
Specilization hai aap ko
EK our mazedar cartoon
dikha aaj to
सही है तैरने योग्य भी बनाना चाहिए था कार को.... :)
बारिश में ओवरहीटिंग से बची रहेगी
सर जी, नेनो ने ममता जी की खोदी खाइयां पर कर ली तो यह गड्ढे क्या चीज़ हैं .
लगे हाथ एक तथ्य का मैं भी खुलासा कर दूं कि नैनो इतनी सस्ती कैसे दी गई है। विचारे तो हम हुए जिन्होंने पिछले वर्ष टाटा मोटर्स की गाडि़यां की खरीद की। मसलन मैंने माच्र 2008 में टाटा इंडिका जीटा पेट्रोल संस्करण की खरीद की जो मुझे नई दिल्ली में तीन लाख पच्चीस हजार के लगभग मिली। कल एक विज्ञापन में टाटा मोटर्स ने इसकी कीमत तीन लाख पन्द्रह हजार दी है। इसमें सीएनजी कंपनी से लगकर मिल रही है जबकि मैंने इसमें अलग से टाटा प्राधिकृत सीएनजी सिक्वल किट 67 हजार रुपये में लगवाई थी। तो लगभग एक लाख रुपया एक कार पर टाटा मोटर्स ने अधिक लिया। यह तो एक कार की बात है। ऐसी न जानें कितनी कारें टाटा मोटर्स ने बेचीं तो विचारे तो अविनाश वाचस्पति हुए। जिन्होंने बिना विचारे एक साल पहले टाटा इंडिका जीटा पेट्रोल खरीद ली और उसका इंजन भी दोषपूर्ण निकला और जुलाई 2008 में मात्र 3000 किलोमीटर चलने पर ही सीज हो गया। जिससे कंपनी ने इसका इंजन बदला। आज भी इस कार में येन केन प्रकारेण खराबियां तंग करती रहती हैं। नई कार खरीदने का जो सुकून है वो मैंने महसूस ही नहीं किया। जबकि अगर पुरानी कार खरीदी गई होती तो शायद न इतनी परेशानी होती और न इतना दुख होता। क्या रतन टाटा जी इस मामले पर विचार करेंगे। मैं यह यहां पर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि माननीय रतन टाटा जी तक मेरी गुहार नहीं पहुंच पा रही है और न उनकी ई मेल ही मुझे मिल रही है और न ही प्रबंधन द्वारा दी जा रही है।
मेरी शिकायत पिछले वर्ष जहां प्रकाशित हुई थी उसका लिंक दे रहा हूं, पाठक पढ़ सकते हैं http://www.moltol.in/index.php/20080705849/Khash-Feature/Complaint-from-Tata-Indica-car.html
becharee neno....kya soch ke aaee thi...aur kya ho gaya..
becharee neno....kya soch ke aaee thi...aur kya ho gaya..
ha ha ha
Sabhi vijetao ko bahut bahut badhaiiii
यानी चंद पर चलेबल नहीं है नैनो! :(
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