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आम आदमी पर अब कच्छा ही शेष है..
इस जाड़ें में तो कपड़े भी नहीं दिये जा सकते हैं।
12% की मुद्रस्फीति में बेचारा सैंटा करे भी तो क्या...वह नेता तो नहीं ठहरा न, कि मुंह उठाया और लोगों के यहां चल दिए :)
सही है जी...
बेचारा ..करे भी तो क्या ?
bilkul sahi
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आम आदमी पर अब कच्छा ही शेष है..
इस जाड़ें में तो कपड़े भी नहीं दिये जा सकते हैं।
12% की मुद्रस्फीति में बेचारा सैंटा करे भी तो क्या...वह नेता तो नहीं ठहरा न, कि मुंह उठाया और लोगों के यहां चल दिए :)
सही है जी...
बेचारा ..करे भी तो क्या ?
bilkul sahi
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