सत्ता पक्ष की हालत आज़ पतली है. उनकी कूटनीतिक चालें पूरी तरह नाकाम हो चुकी हैं. वे केवल विरोधी पार्टी देखकर ही विरोध नहीं कर रहे. उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि इतना बड़ा जनबल अचानक सत्ता पक्ष के खिलाफ खड़ा हो जायेगा. सत्ता के नशे में (जन-सेवक कहलाने वाले) मंत्रीगण करप्शन के कीचड़ में आकंठ डूब चुके थे. ऎसी बौखलाहट जनता ने पहली बार शासन के चहरे पर देखी है... वे अपने अघोषित धन-कोशों को उदघाटित होने के भय से बिदके हुए हैं.
3 comments:
देर आयद दुरुस्त आयद.
सत्ता पक्ष की हालत आज़ पतली है. उनकी कूटनीतिक चालें पूरी तरह नाकाम हो चुकी हैं. वे केवल विरोधी पार्टी देखकर ही विरोध नहीं कर रहे. उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि इतना बड़ा जनबल अचानक सत्ता पक्ष के खिलाफ खड़ा हो जायेगा. सत्ता के नशे में (जन-सेवक कहलाने वाले) मंत्रीगण करप्शन के कीचड़ में आकंठ डूब चुके थे. ऎसी बौखलाहट जनता ने पहली बार शासन के चहरे पर देखी है... वे अपने अघोषित धन-कोशों को उदघाटित होने के भय से बिदके हुए हैं.
सिद्धान्त की बात है।
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