आपका व्यंग्य ......... इस बार भी पैनापन लिये हुए है.
मनमोहन पर टिप्पणी : सच है .... 'कुत्ते' वफादार होते हैं. लेकिन एक और सच है ... 'वर्ल्ड बैंक के रिटायर्ड कुत्ते' भी वफादार होते हैं.
कीर्तीश जी, नई दुनिया के सम्पादक श्री आलोक मेहता जी के मुख से कल सुबह 'अन्ना-विरोधी' सुर सुना ... उनका कहना था कि 'अन्ना के मिशन का प्रचार अमेरिका में बैठे लोग कर रहे हैं, उनके पीछे किसी अन्य शक्तियों किया हाथ है.' मेरा उनसे पूछना है कि 'अमेरिका में बैठे सक्षम भारतीय लोगों का भारत के भले के बारे में सोचना गुनाह है तो वहाँ जाकर 'गुप्त रोग का इलाज कराना क्या सही है.' ........... विषयांतर बात के लिये क्षमा ...साथी समझकर कह दिया ... अब मन हलका हुआ.
4 comments:
आपका व्यंग्य ......... इस बार भी पैनापन लिये हुए है.
मनमोहन पर टिप्पणी :
सच है .... 'कुत्ते' वफादार होते हैं.
लेकिन एक और सच है ... 'वर्ल्ड बैंक के रिटायर्ड कुत्ते' भी वफादार होते हैं.
कीर्तीश जी,
नई दुनिया के सम्पादक श्री आलोक मेहता जी के मुख से कल सुबह 'अन्ना-विरोधी' सुर सुना ...
उनका कहना था कि 'अन्ना के मिशन का प्रचार अमेरिका में बैठे लोग कर रहे हैं, उनके पीछे किसी अन्य शक्तियों किया हाथ है.'
मेरा उनसे पूछना है कि 'अमेरिका में बैठे सक्षम भारतीय लोगों का भारत के भले के बारे में सोचना गुनाह है तो वहाँ जाकर 'गुप्त रोग का इलाज कराना क्या सही है.' ........... विषयांतर बात के लिये क्षमा ...साथी समझकर कह दिया ... अब मन हलका हुआ.
इसे बनाने वाले भी तो, इसी पार्टी केही थे।
samvidhan ke rakshak hain, gair vidhai tareeke kaise apna sakte hain, baba ke anuyayion ki pitai bhi samvaidhanik laathi se hui thi..
सब संविधान संभाले हैं।
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