अपनी सांस्कृतिक विरासत ही एक ऎसी ऊर्जा है जो निर्धन और शोषित को हर हाल में खुश रखती है. मृत को जिलाए रखने का एकमात्र संबल है 'सांस्कृतिक गौरव की अनुभूति' — देवी-देवताओं पर अकूत श्रद्धा, भगवान् को न्यायकारी मानना और अपने हाल को भाग्य और पिछले जन्म के कर्मों से जोड़कर देखना भी इसका कारण हो सकता है. — लोभ और माया से दूरी बनाकर संतुष्ट रहने का स्वभाव भी इसका कारण हो सकता है. — जन्म को सुरक्षित रखने के लिये रोटी, कपड़ा और मकान से अधिक जरूरी है जीवटता [जीने की इच्छा] ________________________ ......... आपका व्यंग्य हर बार की तरह बेहद दमदार है.
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अपनी सांस्कृतिक विरासत ही एक ऎसी ऊर्जा है जो निर्धन और शोषित को हर हाल में खुश रखती है.
मृत को जिलाए रखने का एकमात्र संबल है 'सांस्कृतिक गौरव की अनुभूति'
— देवी-देवताओं पर अकूत श्रद्धा, भगवान् को न्यायकारी मानना और अपने हाल को भाग्य और पिछले जन्म के कर्मों से जोड़कर देखना भी इसका कारण हो सकता है.
— लोभ और माया से दूरी बनाकर संतुष्ट रहने का स्वभाव भी इसका कारण हो सकता है.
— जन्म को सुरक्षित रखने के लिये रोटी, कपड़ा और मकान से अधिक जरूरी है जीवटता [जीने की इच्छा]
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......... आपका व्यंग्य हर बार की तरह बेहद दमदार है.
सच है, छोटी सी आशा..
मारक है...
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