हाय हाय हिंदुत्व हठ, हाथ होय जो सिद्ध |फांसी पर देना चढ़ा, खुश हों सुनकर गिद्ध | खुश हों सुनकर गिद्ध, मांस मोदी का मीठा |प्रेक्टिस में जल्लाद, बाँध कर खींचे गीठा |प्रतिभा करती क्षमा, प्रणव के स्वर भर्राने |मोदी का अज्ञान, राष्ट्रपति गए पुराने ||
हा हा हा
Loved your Kavita mr faizabadi :)
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3 comments:
हाय हाय हिंदुत्व हठ, हाथ होय जो सिद्ध |
फांसी पर देना चढ़ा, खुश हों सुनकर गिद्ध |
खुश हों सुनकर गिद्ध, मांस मोदी का मीठा |
प्रेक्टिस में जल्लाद, बाँध कर खींचे गीठा |
प्रतिभा करती क्षमा, प्रणव के स्वर भर्राने |
मोदी का अज्ञान, राष्ट्रपति गए पुराने ||
हा हा हा
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