आप अपने कार्टून्स में बड़े-बड़े व्याख्यानों को समेट लेते हो।
बड़े से बड़े आक्रोश के दरिया भी आपकी कुप्पी में चिमट आते हैं।
यह किसी चमत्कार से कम नहीं ... गज़ब की प्रतिभा है आपकी।
देश-विदेश की हर हलचल पर आपकी पत्रकारिता वाली नज़र भी बनी रहती है। आपके व्यंग्य चित्रों को देखकर ही लगता है कि अभी भी वो पत्रकारिता की जा रही है जिस पर गौरव किया जा सके।
आप अपने कार्टून्स में बड़े-बड़े व्याख्यानों को समेट लेते हो।
बड़े से बड़े आक्रोश के दरिया भी आपकी कुप्पी में चिमट आते हैं।
यह किसी चमत्कार से कम नहीं ... गज़ब की प्रतिभा है आपकी।
देश-विदेश की हर हलचल पर आपकी पत्रकारिता वाली नज़र भी बनी रहती है। आपके व्यंग्य चित्रों को देखकर ही लगता है कि अभी भी वो पत्रकारिता की जा रही है जिस पर गौरव किया जा सके।
4 comments:
कीर्तिश जी,
आप अपने कार्टून्स में बड़े-बड़े व्याख्यानों को समेट लेते हो।
बड़े से बड़े आक्रोश के दरिया भी आपकी कुप्पी में चिमट आते हैं।
यह किसी चमत्कार से कम नहीं ... गज़ब की प्रतिभा है आपकी।
देश-विदेश की हर हलचल पर आपकी पत्रकारिता वाली नज़र भी बनी रहती है। आपके व्यंग्य चित्रों को देखकर ही लगता है कि अभी भी वो पत्रकारिता की जा रही है जिस पर गौरव किया जा सके।
नमन ...इस जन जागृति की भावना को।
कीर्तीश जी,
आप अपने कार्टून्स में बड़े-बड़े व्याख्यानों को समेट लेते हो।
बड़े से बड़े आक्रोश के दरिया भी आपकी कुप्पी में चिमट आते हैं।
यह किसी चमत्कार से कम नहीं ... गज़ब की प्रतिभा है आपकी।
देश-विदेश की हर हलचल पर आपकी पत्रकारिता वाली नज़र भी बनी रहती है। आपके व्यंग्य चित्रों को देखकर ही लगता है कि अभी भी वो पत्रकारिता की जा रही है जिस पर गौरव किया जा सके।
नमन ...इस जन जागृति की भावना को।
ha ha ha ;D
चार सीटी बजने दीजिये
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