गज-गति लख *गज्जूह की, हाथी भरे सफ़ेद । बजट परे चिंतन करें, बना गजट में छेद ।बना गजट में छेद, एक ही फोटो छाया ।चढ़ा गुलाबी रंग, देख जयपुर *सरमाया । रविकर तो शरमाय, पहिर साड़ी यह नौ गज ।कोने रहे लुकाय, सदी के सारे दिग्गज ।।
हुल्लड़ होता है हटकु, *हालाहली हलोर ।हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर ।कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक ।हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक ।नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल ।सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।*दारू ^तीर
हु ला ला हु ला ला ..चिँतन शिविर को भी रंग डाल ..हु ला ला ...
सही कहा इन्होंने.
वहाँ, जहाँ समस्यायें कम हों।
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गज-गति लख *गज्जूह की, हाथी भरे सफ़ेद ।
बजट परे चिंतन करें, बना गजट में छेद ।
बना गजट में छेद, एक ही फोटो छाया ।
चढ़ा गुलाबी रंग, देख जयपुर *सरमाया ।
रविकर तो शरमाय, पहिर साड़ी यह नौ गज ।
कोने रहे लुकाय, सदी के सारे दिग्गज ।।
हुल्लड़ होता है हटकु, *हालाहली हलोर ।
हुई सुमाता खुश बहुत, कब से रही अगोर ।
कब से रही अगोर, हुआ बबलू अब लायक ।
हर्षित दिग्गी-द्रोण, सौंप के सारे ^शायक ।
नीति नियम कुल सीख, करेगा अब ना फाउल ।
सब विधि लायक दीख, आह! दुनिया को राहुल ।।
*दारू ^तीर
हु ला ला हु ला ला ..चिँतन शिविर को भी रंग डाल ..हु ला ला ...
सही कहा इन्होंने.
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