सीना चौड़ा राहु कै, बहा पसीना केतु |अमृत घाट लेकर भगे, बोलो फिर किस हेतु |बोलो फिर किस हेतु, लड़ाई राहु-केतु में |मिले ना धेली एक, बहायें सेत-मेत में |निन्यानवे सँदेश, हमारा हक़ भी छीना |देगा क्या *दरमाह, बहायें तभी पसीना |*वेतन
सौना बाथ ले लेते..
ऐसे चिन्त-मनन से पसीना तो आयेगा ही!
जो भी है, जमा जा रहा है..
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4 comments:
सीना चौड़ा राहु कै, बहा पसीना केतु |
अमृत घाट लेकर भगे, बोलो फिर किस हेतु |
बोलो फिर किस हेतु, लड़ाई राहु-केतु में |
मिले ना धेली एक, बहायें सेत-मेत में |
निन्यानवे सँदेश, हमारा हक़ भी छीना |
देगा क्या *दरमाह, बहायें तभी पसीना |
*वेतन
सौना बाथ ले लेते..
ऐसे चिन्त-मनन से पसीना तो आयेगा ही!
जो भी है, जमा जा रहा है..
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