बराबरी का एहसास अजब सुख देता है..
नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर |पहुँचायें सत्ता सही, चाहे देर सवेर |चाहे देर सवेर, गरीबी रेखा वालों |फँसता मध्यम वर्ग, साथ अब इन्हें बुला लो |मँहगाई की मार, टैक्स ने भी संहारा |लाल-कार्ड बनवाय, लगायें हम भी नारा |
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बराबरी का एहसास अजब सुख देता है..
नारा ढीला हो गया, निन्यानवे बटेर |
पहुँचायें सत्ता सही, चाहे देर सवेर |
चाहे देर सवेर, गरीबी रेखा वालों |
फँसता मध्यम वर्ग, साथ अब इन्हें बुला लो |
मँहगाई की मार, टैक्स ने भी संहारा |
लाल-कार्ड बनवाय, लगायें हम भी नारा |
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