चारा प्यारा जगत में, छाला हित कर लेय । ज्यों रहीम आटा लगे, त्यों मृदंग स्वर देय ।। ----- ।। हजरत अब्दुर्रहीम खानखाना ।। -----
भावार्थ :-- इस संसार में भोजन सभी को प्यारा है, किन्तु वह श्रम से उत्पन्न करना चाहिए । जिस प्रकार थाप पर आटा लगने से मृदंग मधुर स्वर उत्पन्न करता है, उसी प्रकार श्रम जनित भोजन ही शरीर को पोषण देता है ।।
2 comments:
सीधा रोटी ही दो तब तो, गैस भी तो चाहिये।
चारा प्यारा जगत में, छाला हित कर लेय ।
ज्यों रहीम आटा लगे, त्यों मृदंग स्वर देय ।।
----- ।। हजरत अब्दुर्रहीम खानखाना ।। -----
भावार्थ :-- इस संसार में भोजन सभी को प्यारा है, किन्तु वह श्रम से उत्पन्न करना चाहिए । जिस प्रकार थाप पर आटा लगने से मृदंग मधुर स्वर उत्पन्न करता है, उसी प्रकार श्रम जनित भोजन ही शरीर को पोषण देता है ।।
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