तालाबों को ढक दिया, हाथी दिया खदेड़ |लक्ष्मी माँ भी कमल बिन, ज्यों पत्तों बिन पेड़ |ज्यों पत्तों बिन पेड़, कहाँ से फल खायेगा |दे कुदरत को छेड़, पुन: अब न आयेगा |लक्ष्मी मैया दूर, निकाले पर्व दिवाला |, बिना दीवाली दीप, लैगे किस्मत पर ताला |
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।। आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥
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तालाबों को ढक दिया, हाथी दिया खदेड़ |
लक्ष्मी माँ भी कमल बिन, ज्यों पत्तों बिन पेड़ |
ज्यों पत्तों बिन पेड़, कहाँ से फल खायेगा |
दे कुदरत को छेड़, पुन: अब न आयेगा |
लक्ष्मी मैया दूर, निकाले पर्व दिवाला |,
बिना दीवाली दीप, लैगे किस्मत पर ताला |
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