बिना मुलायम ना दिखे, नव दिल्ली सरकार ।मुला देश देता भुला, देता स्वप्न नकार ।देता स्वप्न नकार, खा रही ठोकर ममता ।कोयला खाएं लोग, इन्हें तो चोकर जमता ।रविकर पहुंचे पास, मगर विश्वास कहाँ है ।एक सरोवर पास, धुले मुंह रहा नहा है ।।
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बिना मुलायम ना दिखे, नव दिल्ली सरकार ।
मुला देश देता भुला, देता स्वप्न नकार ।
देता स्वप्न नकार, खा रही ठोकर ममता ।
कोयला खाएं लोग, इन्हें तो चोकर जमता ।
रविकर पहुंचे पास, मगर विश्वास कहाँ है ।
एक सरोवर पास, धुले मुंह रहा नहा है ।।
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