वाह ! बहुत सही कहा ।घुघुटी बासूती
इन परमानेंट मंगतों से पब्लिक पनाह मांगती है जी।
इनकी समृद्धि का राज : मांगते रहो! अगर कुर्सी न मिले तो फिर टिकट मांगो!
लोकतंत्र ने इन बेचारों को भिखमंगा बना कर रख छोड़ा. हद है भाई... :)
बहुत बढिया!
बहुत बुरी बात है कीर्तेश भाई, बेचारे नेता! सब इनकी खिंचाई करते हैं किसी को इन मंगतों की दया नहीं आती। :)॥दस्तक॥गीतों की महफिल
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वाह ! बहुत सही कहा ।
घुघुटी बासूती
इन परमानेंट मंगतों से पब्लिक पनाह मांगती है जी।
इनकी समृद्धि का राज : मांगते रहो! अगर कुर्सी न मिले तो फिर टिकट मांगो!
लोकतंत्र ने इन बेचारों को भिखमंगा बना कर रख छोड़ा. हद है भाई... :)
बहुत बढिया!
बहुत बुरी बात है कीर्तेश भाई,
बेचारे नेता!
सब इनकी खिंचाई करते हैं किसी को इन मंगतों की दया नहीं आती। :)
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
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