वाह, एक से एक नायाब कार्टून। इन कार्टूनों से आत्मीयता हो गयी है।
कीर्तिश जी,मैं आपका पंखा ए.सी तो हूँ ही, आपके कर्टूनों की प्रतीक्षा ब्लोग पर भी रोज करता हूँ। आपकी अनुपस्थिति खलती है..हर कार्टून पैने हैं। मँहगाई पर गहरे गहरे व्यंग्य..***राजीव रंजन प्रसाद
जानदार
भाया सन दो हजार आठमहंगाई कर रही ठाठमठाठशेयर बाजार की खुल गई गांठपढ़ रही पहाड़ा तीन दूनी आठ
महंगाई को कब दिखेगी ऐसी खाईजब नीचे आने को बेताब होगी भाई
bahut khoob kritish bandhu
सभी बेहतरीन, वाह!!
bahut dino baad aaye hain magar achchhi aur dher sari chijon ke saath aaye hain.. thanx.. :)
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8 comments:
वाह, एक से एक नायाब कार्टून।
इन कार्टूनों से आत्मीयता हो गयी है।
कीर्तिश जी,
मैं आपका पंखा ए.सी तो हूँ ही, आपके कर्टूनों की प्रतीक्षा ब्लोग पर भी रोज करता हूँ। आपकी अनुपस्थिति खलती है..
हर कार्टून पैने हैं। मँहगाई पर गहरे गहरे व्यंग्य..
***राजीव रंजन प्रसाद
जानदार
भाया सन दो हजार आठ
महंगाई कर रही ठाठमठाठ
शेयर बाजार की खुल गई गांठ
पढ़ रही पहाड़ा तीन दूनी आठ
महंगाई को कब दिखेगी ऐसी खाई
जब नीचे आने को बेताब होगी भाई
bahut khoob kritish bandhu
सभी बेहतरीन, वाह!!
bahut dino baad aaye hain magar achchhi aur dher sari chijon ke saath aaye hain..
thanx.. :)
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