एक इंजीयर की हत्या का वहिशयाना तौर-तरीका और फिर उसको मरी हुई हालत में थाने पर छोड़ आना यह स्वतः सिद्ध करता है कि शासन-प्रशासन नेताओं की रखैल बन चुकी है । क्या इसी को लोकतंत्र कहते हैं ?
"निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन कि जहाँ चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले" फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ये पंक्तियाँ मानों एकदम साकार हो गईं है उत्तर प्रदेश में!
कितना अच्छा बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें! कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |सादर मदन
8 comments:
" ha ha ha ha arthik mandi ka assar yhan bhi...??'
regards
bahut khoob bhai....
maza aa gaya
नेताओं के जन्मदिन पर भक्तों द्वारा नरबलि चढ़ाई जायेगी अब.
एक इंजीयर की हत्या का वहिशयाना तौर-तरीका और फिर उसको मरी हुई हालत में थाने पर छोड़ आना यह स्वतः सिद्ध करता है कि शासन-प्रशासन नेताओं की रखैल बन चुकी है । क्या इसी को लोकतंत्र कहते हैं ?
"निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन कि जहाँ
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले" फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ये पंक्तियाँ मानों एकदम साकार हो गईं है उत्तर प्रदेश में!
सब कुछ खोया,कुछ ना पाया
अजी ईश्वर ही जाने ईश्वर की "माया"!!
बहुत शानदार कार्टून
कितना अच्छा
बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |सादर मदन
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