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यह तो बहुत गलत हुआ इनके साथ।
हा हा हा !! वैसे शायद घोडो को ये समझ नहीं आया कि इसमें नया क्या है ? क्योंकि घोडो और गधो का तो कॉम्पिटिशन सदियों से चला आ रहा है.
रोचक प्रस्तुति। आंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
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यह तो बहुत गलत हुआ इनके साथ।
हा हा हा !! वैसे शायद घोडो को ये समझ नहीं आया कि इसमें नया क्या है ? क्योंकि घोडो और गधो का तो कॉम्पिटिशन सदियों से चला आ रहा है.
रोचक प्रस्तुति।
आंच पर संबंध विस्तर हो गए हैं, “मनोज” पर, अरुण राय की कविता “गीली चीनी” की समीक्षा,...!
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