कीर्तीश जी, आपके इतने तीखे व्यंग्य-चित्र होते हैं कि किसी क्रांतिकारी लेख से कमतर नहीं लगते.. जबकि आज मीडिया अपने वास्तविक धर्म से च्युत हो रहा है .. वहीं आपने अपनी नौका सही दिशा में ले चलने का संकल्प लिया हुआ है... महीनों से देख रहा हूँ आपकी कूची से निकलने वाली रेखाओं को... आपके ये छोटे-छोटे प्रयास एक बड़ी क्रान्ति का सृजन कर रहे हैं. मैं आपके कार्टून्स को बहुत पसंद करता हूँ ... क्योंकि आप कटु सत्य को बेबाक रूप से रखते हैं. चंद लकीरों और संक्षित संवादों से व्यवस्था पर बड़ी तगड़ी चोट करते हैं आपके कार्टून्स.
4 comments:
कीर्तीश जी,
आपके इतने तीखे व्यंग्य-चित्र होते हैं कि किसी क्रांतिकारी लेख से कमतर नहीं लगते..
जबकि आज मीडिया अपने वास्तविक धर्म से च्युत हो रहा है .. वहीं आपने अपनी नौका सही दिशा में ले चलने का संकल्प लिया हुआ है... महीनों से देख रहा हूँ आपकी कूची से निकलने वाली रेखाओं को... आपके ये छोटे-छोटे प्रयास एक बड़ी क्रान्ति का सृजन कर रहे हैं. मैं आपके कार्टून्स को बहुत पसंद करता हूँ ... क्योंकि आप कटु सत्य को बेबाक रूप से रखते हैं. चंद लकीरों और संक्षित संवादों से व्यवस्था पर बड़ी तगड़ी चोट करते हैं आपके कार्टून्स.
kyaa gazab hai bhaai ..akhtar khan akela kota rasjsthan
gajab ka teekha hai...
प्रतिभावान खायक हैं, कुछ भी खा सकते हैं।
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