मोबाइल में नेटवर्क बेशक न मिले .... मोबाइल पाकर कुछ समय को अपनी भूख-प्यास जरूर भूल जाया करेगा.
सरकार अपने आंकड़ों में सुधार लाने के लिये ये सब कर रही है.... कहने को होगा.... "क्योंकि भारत के हर हाथ में मोबाइल है... यहाँ सभी गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके हैं. अतः सब सब्सीडी समाप्त की जाती है."
.......... आपके सभी कार्टून्स निरंतर पढ़ता हूँ.... आप बेहतरीन साहित्यकार हैं..... इस विधा से भी कोई वैचारिक क्रान्ति ला सकता था... सोचा न था.
इस तरह की वैचारिक क्रांतियों से सामाजिक क्रान्ति जन्म लेती है... जब वह असफल होती है तो मजबूरन 'खूनी क्रान्ति' होती है... तभी अत्याचारी सत्ताएं पलटती है,आर्थिक विषमता खत्म होती है और स्वतः सभी का धर्म पर विश्वास लौटने लगता है. व्यंग्यचित्र साहित्य में आपका कोई सानी नहीं... सभी क्षेत्रों में आपकी पैनी और पारखी नज़र के न जाने कितने पाठक कायल हो चुके होंगे.
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मोबाइल में नेटवर्क बेशक न मिले .... मोबाइल पाकर कुछ समय को अपनी भूख-प्यास जरूर भूल जाया करेगा.
सरकार अपने आंकड़ों में सुधार लाने के लिये ये सब कर रही है.... कहने को होगा.... "क्योंकि भारत के हर हाथ में मोबाइल है... यहाँ सभी गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके हैं. अतः सब सब्सीडी समाप्त की जाती है."
.......... आपके सभी कार्टून्स निरंतर पढ़ता हूँ.... आप बेहतरीन साहित्यकार हैं..... इस विधा से भी कोई वैचारिक क्रान्ति ला सकता था... सोचा न था.
इस तरह की वैचारिक क्रांतियों से सामाजिक क्रान्ति जन्म लेती है... जब वह असफल होती है तो मजबूरन 'खूनी क्रान्ति' होती है... तभी अत्याचारी सत्ताएं पलटती है,आर्थिक विषमता खत्म होती है और स्वतः सभी का धर्म पर विश्वास लौटने लगता है. व्यंग्यचित्र साहित्य में आपका कोई सानी नहीं... सभी क्षेत्रों में आपकी पैनी और पारखी नज़र के न जाने कितने पाठक कायल हो चुके होंगे.
उनमें से मैं भी एक हूँ.
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