विद्यमान परिस्थिति में राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री से लेकर भृत, दैनिक वेतन भोगी तक सभी स्वयं के सदाचारी होने का दंभ भरते है, इसका आशय तो ये हुवा की भारत में भ्रष्टाचार है ही नहीं । अब इसे राष्ट्र प्रमुख या तो सार्वजनिक रूप से स्वीकार करे ( कि भारत भ्रष्टाचार मुक्त है ) अथवा आत्म समर्पण करें.....
3 comments:
चिरकुट चच्चा चाहते, चमकाना व्यवसाय ।
क्लीन-चिटो की फैक्टरी, देते यहाँ लगाय ।
देते यहाँ लगाय, खरीदो बेहद सस्ती ।
खोली एक दुकान, जाय के उनकी बस्ती ।
ख़तम चोर माफिया, हुआ व्यापारी सच्चा ।
लीडर बनता जाय, हमारा चिरकुट चच्चा ।।
सरल तन्त्र विकसित हो रहे हैं।
विद्यमान परिस्थिति में राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री से लेकर भृत, दैनिक वेतन भोगी तक
सभी स्वयं के सदाचारी होने का दंभ भरते है, इसका आशय तो ये हुवा की भारत में
भ्रष्टाचार है ही नहीं । अब इसे राष्ट्र प्रमुख या तो सार्वजनिक रूप से स्वीकार करे
( कि भारत भ्रष्टाचार मुक्त है ) अथवा आत्म समर्पण करें.....
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