सीमा पर उत्पात हो, शत्रु देश का हाथ । फेल खूफिया तंत्र है, कटते सैनिक माथ । कटते सैनिक माथ, रहे पर सत्ता सोई । रचि राखा जो राम, वही दुर्घटना होई । इत नक्सल आतंक, पुलिस का करती कीमा । पेट फाड़ बम प्लांट, पार करते अब सीमा ।।
शब्दों से आक्रोश को, व्यक्त करे आकाश । देश रसातल में धंसे, देख लाल की लाश । देख लाल की लाश, अनर्गल बकती सत्ता । लेकिन पाकी फांस, घुसे हरदम अलबत्ता । इत नक्सल दुर्दांत, उधर आतंकी पोसे । करिए अब तो क्रान्ति, भावना से शब्दों से ।।
पाकी सिर काटे अगर, व्यक्त सही आक्रोश । मरे पुलिस के पेट में, नक्सल दे बम खोंस । नक्सल दे बम खोंस, आधुनिक विस्फोटक से । करे धमाका ठोस, दुबारा पूरे हक़ से । अन्दर बाहर शत्रु, बताओ अब क्या बाकी । नक्सल पीछे कहाँ, तनिक आगे है पाकी ।।
पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस । रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस । उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी । सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी । बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी । सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति! आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी! सूचनार्थ!
7 comments:
सीमा पर उत्पात हो, शत्रु देश का हाथ ।
फेल खूफिया तंत्र है, कटते सैनिक माथ ।
कटते सैनिक माथ, रहे पर सत्ता सोई ।
रचि राखा जो राम, वही दुर्घटना होई ।
इत नक्सल आतंक, पुलिस का करती कीमा ।
पेट फाड़ बम प्लांट, पार करते अब सीमा ।।
शब्दों से आक्रोश को, व्यक्त करे आकाश ।
देश रसातल में धंसे, देख लाल की लाश ।
देख लाल की लाश, अनर्गल बकती सत्ता ।
लेकिन पाकी फांस, घुसे हरदम अलबत्ता ।
इत नक्सल दुर्दांत, उधर आतंकी पोसे ।
करिए अब तो क्रान्ति, भावना से शब्दों से ।।
पाकी सिर काटे अगर, व्यक्त सही आक्रोश ।
मरे पुलिस के पेट में, नक्सल दे बम खोंस ।
नक्सल दे बम खोंस, आधुनिक विस्फोटक से ।
करे धमाका ठोस, दुबारा पूरे हक़ से ।
अन्दर बाहर शत्रु, बताओ अब क्या बाकी ।
नक्सल पीछे कहाँ, तनिक आगे है पाकी ।।
पाकी दो सैनिक हते, इत नक्सल इक्कीस ।
रविकर इन पर रीस है, उन पर दारुण रीस ।
उन पर दारुण रीस, देह क्षत-विक्षत कर दी ।
सो के सत्ताधीश, गुजारे घर में सर्दी ।
बाह्य-व्यवस्था फेल, नहीं अन्दर भी बाकी ।
सीमोलंघन खेल, बाज नहिं आते पाकी ।।
इसमें तो विशेषज्ञ हैं..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!
...यही हमारी राष्ट्रीय नीति है
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