मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा- (1) लड़का कालेज छोड़ता, भाँप रिस्क आसन्न | क्लास-मेट को हर समय, करना पड़े प्रसन्न |
करना पड़े प्रसन्न, धौंस हर समय दिखाती | काला चश्मा डाल, केस का भय दिखलाती |
है इसका क्या तोड़, रोज देती हैं हड़का | लूंगा आँखे फोड़, आज बोल है लड़का || (2) बेटा भूलो नीति को, काला चश्मा डाल । दुनिया के करते चलो, सारे कठिन सवाल ।
सारे कठिन सवाल, भोग सहमति से करना । पूछ उम्र हर हाल, नहीं तो करना भरना । संस्कार जा भूल, पडेगा नहीं चपेटा । मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा ॥
घनाक्षरी सहमति संभोग हैं , बेशर्म बड़े लोग हैं - पतनोमुखी योग हैं, कानून ले आइये । अठारह से घटा के, तो सोलह में पटा के नैतिकता को हटा के, संस्कार भुलाइये । लडको की आँख फोड़, करें नहीं जोड़ तोड़ कानून का है निचोड़, रस्ता भूल जाइये । नीति सत्ताधारियों की, जान सदाचारियों की, । "लाज आज नारियों की, देश में बचाइये ।
हमारे देश में गुंडागर्दी सर्वत्र व्याप्त है, सरकार ने तो इसका व्यापारीकरण ही कर दिया है, और जनता को नित नए 'सुनहरे अवसर' उपलब्ध करवाती है, जैसे की :--
१) नेता के हाथ अपने प्रियजनों को मर वाओ और ऊंचा पद पाओ २) बम में फूट जाओ और क्षतिपूर्ति पाओ ३) सहमति से शारीरिक सम्बन्ध बनवाओ ( अभी विधेयक की प्रक्रिया चल रही है, पता नहीं जनता को क्या उपहार मिल जाए ))
हमारे देश की जनता भी कम नहीं है उसने भी उच्च पदस्थ ने ताओ को सुनहरा अवसर दिया हुवा हैजैसे ; -- गोली खाओ, बम में फूटो और देश की सत्ता हथियाओ, सत्ताधारी दल एक बारी इस अवसर का लाभ उठा भी चुकी है.....
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मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा-
(1)
लड़का कालेज छोड़ता, भाँप रिस्क आसन्न |
क्लास-मेट को हर समय, करना पड़े प्रसन्न |
करना पड़े प्रसन्न, धौंस हर समय दिखाती |
काला चश्मा डाल, केस का भय दिखलाती |
है इसका क्या तोड़, रोज देती हैं हड़का |
लूंगा आँखे फोड़, आज बोल है लड़का ||
(2)
बेटा भूलो नीति को, काला चश्मा डाल ।
दुनिया के करते चलो, सारे कठिन सवाल ।
सारे कठिन सवाल, भोग सहमति से करना ।
पूछ उम्र हर हाल, नहीं तो करना भरना ।
संस्कार जा भूल, पडेगा नहीं चपेटा ।
मौज करो दो साल, नहीं तू बालिग बेटा ॥
घनाक्षरी
सहमति संभोग हैं , बेशर्म बड़े लोग हैं -
पतनोमुखी योग हैं, कानून ले आइये ।
अठारह से घटा के, तो सोलह में पटा के
नैतिकता को हटा के, संस्कार भुलाइये ।
लडको की आँख फोड़, करें नहीं जोड़ तोड़
कानून का है निचोड़, रस्ता भूल जाइये ।
नीति सत्ताधारियों की, जान सदाचारियों की, ।
"लाज आज नारियों की, देश में बचाइये ।
छूट की लूट
हमारे देश में गुंडागर्दी सर्वत्र व्याप्त है, सरकार ने तो इसका व्यापारीकरण ही कर दिया है, और जनता को
नित नए 'सुनहरे अवसर' उपलब्ध करवाती है, जैसे की :--
१) नेता के हाथ अपने प्रियजनों को मर वाओ और ऊंचा पद पाओ
२) बम में फूट जाओ और क्षतिपूर्ति पाओ
३) सहमति से शारीरिक सम्बन्ध बनवाओ ( अभी विधेयक की प्रक्रिया चल रही है, पता नहीं जनता को क्या उपहार मिल जाए ))
हमारे देश की जनता भी कम नहीं है उसने भी उच्च पदस्थ ने ताओ को सुनहरा अवसर दिया हुवा हैजैसे ; -- गोली खाओ, बम में फूटो और देश की सत्ता हथियाओ, सत्ताधारी दल एक बारी
इस अवसर का लाभ उठा भी चुकी है.....
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