कारे कारज कारि कै धवलित दधिजे सार । कारी मटुकी धारि के लटकी देस बहार ॥ भावार्थ : -- कलुषित कर्म के द्वारा , श्वेत मक्खन निकाला । काले कुम्भ में भर कर देश के बाहर लटका दिया ॥ अर्थात : -- "संचयित कलुषित धन, देश वासियों का ही श्रम धन है"
ha ha..
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कारे कारज कारि कै धवलित दधिजे सार ।
कारी मटुकी धारि के लटकी देस बहार ॥
भावार्थ : --
कलुषित कर्म के द्वारा , श्वेत मक्खन निकाला ।
काले कुम्भ में भर कर देश के बाहर लटका दिया ॥
अर्थात : -- "संचयित कलुषित धन, देश वासियों का ही श्रम धन है"
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