पदक परधान पाए कै, पाए पंच परिधान । सुरतें बिषय बिलासिता, भूरे धान किसान ।८७९।
भावार्थ : -- जब उच्च स्थान प्राप्त हो जाता है न, तो बढ़िया बढ़िया खाना, बढ़िया बढ़िया पहनना, बढ़िया बढ़िया रहना, बढ़िया बढ़िया उड़ना, और जाके बढ़िया बढ़िया लोगो के साथ हाथ मिलाने को मिलता है ( केवल हाथ ही मिलाते हैं अन्यथा उनसे अधिक वार्तालाप तो अंतर जाल अर्थात नेट में हो जाती हैं ,ये इसी लिए बना है की आप व्यर्थ में न उड़ें ) और प्रत्येक क्षण भोग विलासिता का ही स्मरण रहता है , फिर गाँव, धान, खेत खलिहान, और किसान सब भूल जाते हैं ॥
3 comments:
वाह
पदक परधान पाए कै, पाए पंच परिधान ।
सुरतें बिषय बिलासिता, भूरे धान किसान ।८७९।
भावार्थ : -- जब उच्च स्थान प्राप्त हो जाता है न, तो बढ़िया बढ़िया खाना, बढ़िया बढ़िया पहनना, बढ़िया बढ़िया रहना, बढ़िया बढ़िया उड़ना, और जाके बढ़िया बढ़िया लोगो के साथ हाथ मिलाने को मिलता है ( केवल हाथ ही मिलाते हैं अन्यथा उनसे अधिक वार्तालाप तो अंतर जाल अर्थात नेट में हो जाती हैं ,ये इसी लिए बना है की आप व्यर्थ में न उड़ें ) और प्रत्येक क्षण भोग विलासिता का ही स्मरण रहता है , फिर गाँव, धान, खेत खलिहान, और किसान सब भूल जाते हैं ॥
बेशर्मी की हद है .....
Post a Comment